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Wednesday, 5 October 2016

बचपनमें मै गांधीजी को बुढा , टकला , मजबुरी और जाने क्या क्या कहता था पुस्तकेभी वैसी पढी थी पर मै गलत था संकेत मुनोत

🔴🔴सच और मिथक 🔴🔴
आज गांधी जयंती , बचपनमें मै गांधीजी को बुढा , टकला , मजबुरी और जाने क्या क्या कहता था पुस्तकेभी वैसी पढी थी और आसपासके बहुतसे लोगभी वैसीही सुनी सुनाई बाते बोलते थे तो लगता था सच होगा पर मै गलत था
आजकल सोशल मीडिया पर नाथूराम और गांधी हत्या के सन्दर्भ में भ्रामक जानकारी नाथूराम भक्त बड़ी मात्रा में पोस्ट कर रहे हैं जिसके द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या कर के फांसी चढ़ जाने वाले एक मामूली अपराधी के अपराध का महिमामंडन किया जा रहा है. अपने आखिरी भाषण में मैंने गांधी हत्या क्यों की इसके 15 कारण नाथूराम ने बताये थे ऐसा ये मेसेज फैलाने वाले विकृत मानसिकता के लोग बताते हैं. ये सब बातें वहीँ पुरानी और घिसी पिटी हैं जिन्हें बार बार दोहरा कर महात्मा गांधीजी को बदनाम करने की कोशिशें की जा रही हैं. उनमे से कुछ कारणों की खबर यहाँ ली जा रही है.
गांधीजी ने जालियाँवाला बाग़ कत्लेआम की निंदा नहीं की, खिलाफत आंदोलन और बंटवारे को समर्थन दिया, पटेल को ज्यादातर लोगों का समर्थन था फिर भी पंडित नेहरू को प्रधानमन्त्री बनाया, भगतसिंह की फांसी रोकने के लिए कुछ नहीं किया, नाथूराम देशभक्त था और देशभक्ति पाप है तो वो उसने किया है ऐसी कुछ बातें हैं. इनमे से कुछ बातों की हकीकत कुछ इस तरह है :-
1) गांधीजी द्वारा शुरू किये गए रौलेट एक्ट विरोधी सत्याग्रह की वजह से जालियाँवाला बाग़ का कत्लेआम हुआ था जिसकी उन्होंने खूब निंदा की थी. इसीलिए उन्होंने सन 1919 में मॉन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड द्वारा शुरू की गयी सुधार की सिफारिशें मानने से इनकार किया और असहयोग आंदोलन शुरू किया. प्रतियोगी सहकारिता के नाम से लोकमान्य तिलक इन सिफारिशों को इम्प्लीमेंट करना चाहते थे.
2) गांधीजी ने खिलाफत आंदोलन को समर्थन दिया क्यूँ कि वो उनका अकेले का नहीं पूरी कांग्रेस का फैसला था.
3) 1922 में केरल में मोपलों का बेहद हिंसात्मक आंदोलन हुआ जिसमे इस्तेमाल हुई गुंडागर्दी और हिंसा किसी तरह से समर्थन के लायक नहीं थी. गांधीजी ने हिंसा की हमेशा निंदा ही की, समर्थन कभी नहीं किया.
4) भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव इन तीन क्रांतिकारियों को अंग्रेज़ साम्राज्यवादियों ने 1931 में फांसी दी. इन तीनों की जान बचाने के लिए गांधीजी गवर्नर जनरल इरविन से मिले और फांसी को रोक देने की प्रार्थना की. सजा से एक दिन पहले अपनी सारी भाषाई प्रतिभा इस्तेमाल कर के उन्होंने एक पत्र लिखा जिसमे सजा माफ़ करने की याचना की गयी थी लेकिन उसे न मानकर फांसी को अमल में लाया गया. अंग्रेजों के गुनाह के लिए गांधीजी को कसूरवार मानने का अजीब तर्कशास्त्र गांधी विरोधियों ने विकसित किया है.
5) छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप और गुरु गोविन्द सिंह इन महान व्यक्तियों के लिए गांधीजी के मन में हमेशा आदर की भावना रही. उनका विरोध इनके नाम पर हिंसा का प्रचार करने वालों के लिए था.
6) भारत का बंटवारा करने का फैसला ब्रिटिश साम्राज्यवाद का था. गांधीजी ने अंत तक उसका विरोध करने की कोशिशें की. ब्रिटिश साम्राज्यवाद की नीति, मुस्लिम लीग द्वारा की जा रही हिंसा, देशभर में बढ़ रही साम्प्रदायिक हिंसा और उससे पैदा हो सकने वाली अराजकता के बारे में सोच कर नेहरू और पटेल ने बंटवारे का फैसला मंजूर किया था. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में गांधीजी ने इसका विरोध किया और बैठक छोड़ के चले गए.
7) गांधीजी ने हैदराबाद के निज़ाम को कभी समर्थन नहीं दिया. जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरिसिंह को अपनी सल्तनत भारत में विलीन कर के सत्ता लोकप्रतिनिधियों के हाथ में देनी चाहिए ऐसा गांधीजी का कहना था. लेकिन हरिसिंह द्वारा तुरंत फैसला न लिए जाने की वजह से ही आज कश्मीर मुद्दा इतना विकट बन चुका है.भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तब माल-असबाब बाँट दिए गए. भारत में उस वक्त 24 हथियार बनाने वाले कारखाने थे जिनमे से कुछ कारखाने पाकिस्तान को देने की बजाय उनकी कीमत 70 करोड़ रुपये दिए जाए ऐसा तय हुआ.उसमे से 25 करोड़ रुपये तभी दिए गए और 55 करोड़ रुपये बाद में देने थे. कश्मीर में जंग शुरू होने के बाद भारत सरकार ने ये रकम देना टाल दिया. एग्रीमेंट के अनुसार बकाया रकम पकिस्तान को दी जानी चाहिए ऐसा गांधीजी का कहना था. जनवरी 1948 में गांधीजी द्वारा किया गया अनशन धार्मिक सद्भाव कायम करने के लिए था ये बात भी ध्यान में रखनी चाहिए.
9) दिल्ली की मस्जिदें मुसलमानों के धर्मस्थल थे और वो उन्हें वापस करना न्यायसम्मत था. दिल्ली के विस्थापितों को हर प्रकार की मदद मिलनी चाहिए, उसमे धार्मिक भेदभाव नहीं होना चाहिए यही उनका कहना था.
10 ) सोमनाथ में मंदिर बाँधने को गांधीजी या नेहरू का विरोध नहीं था. उनकी राय ये थी कि सरकार अपने खर्चे से उसे ना बनाये. क्यूँ कि उसे सैंकड़ों साल पहले गिराया गया था. उसकी तुलना मस्जिदों की मरम्मत से ना की जाए. मस्जिदें दंगाइयों द्वारा गिराई गई थी.
11) पंडित नेहरू कांग्रेस के जवान और सबसे लोकप्रिय नेता थे. 1930 के चुनाव में ये साबित हो चुका था. नेहरू को प्रधानमंत्री बनना चाहिए ये पटेल ने भी माना था और कांग्रेस संसदीय समिति ने नेहरू को निर्विरोध चुना था.
12) नाथूराम गोडसे अपनी मातृभूमि से प्यार करता था ऐसा कहा जाता है. प्यार जमीन से ज्यादा जमीन पर रहने वाले लोगों से होना चाहिए. भारत की बहुसंख्य जनता गरीब और शोषित थी. पिछड़ी जातियों के, दलितों के, स्त्रीयों के उद्धार के लिए गांधीजी ने अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया था. अपने देश को आज़ादी मिले इसके लिए डरे-सहमें भारतीयों को अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया, ज़िन्दगी के दस साल जेल में बिताये और दुनिया को अहिंसा और शांति का सन्देश दिया. ऐसे महापुरुष की हत्या कर के नाथूराम ने देशभक्ति का कौन सा आदर्श स्थापित किया ? ये हत्या उसने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि एक राजनैतिक विचारधारा के स्वार्थ के लिए की इस सच से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता. मातृभूमि से प्यार करना पाप नहीं है लेकिन उसे गांधी हत्या से जोड़ना पाप है. क्यूँ कि देशभक्ति और गांधी हत्या ये दोनों सिक्के के दो अलग पहलू हैं और ऐसा अपराध करने वालों को किसी भी प्रकार का पुण्य नहीं मिलने वाला.
आइंस्टाइन ने कहा था कि, " आने वाली पीढियां शायद ही कभी यकीन करें कि हाड-मांस का बना एक ऐसा व्यक्ति कभी इस दुनिया में हुआ करता था."
अहिंसक या सशस्त्र, दोनों तरह से लड़ने वाले लोग गांधीजी को अपनी प्रेरणा माना करते थे. आज़ाद हिन्द सेना की स्थापना करने पर नेताजी ने जो दो टुकड़ियां बनाई उनके नाम गांधी टुकड़ी और नेहरू टुकड़ी थे. आकाशवाणी पर से गांधीजी को राष्ट्रपिता कह कर संबोधित करने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस ही थे. जिस गोडसे ने अहिंसक या सशस्त्र किसी भी प्रकार की क्रांति में हिस्सा नहीं लिया, सिर्फ हिंसक और जहरीले भाषण दिए ऐसे निकम्मे लोगोंने तब भी घृणा और अफवाह फैलाने का काम किया था और आज भी वही कर रहे हैं.
ऐसी झूठी अफवाहों से सावधान रहिये. दोस्तों, अगर गांधीजी को समझना है तो डॉ. अभय बंग, प्रकाश बाबा आमटे, दलाई लामा, कैलाश सत्यार्थी, मलाला जैसे करोड़ों लोगों - जिन्होंने गांधी जी के विचारों के लिए जीवन समर्पित किया - के साथ कुछ पल बिता कर देखिये. आइंस्टाइन की समझ में आये गांधीजी, य दी फड़कें का नाथुरामायण, महात्मा की अखेर, फ्रीडम ऐट मिडनाइट ये किताबें पढ़िए. धर्म, जात-पात, राजनैतिक विचारधाराएँ आदि आदि द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों के झांसे में ना आइये.
आखिरमे बाबा आमटे की 2पंक्तीया लिखता हु और रुकता हु
गाँधी एक हिम-शैल
ध्रुव-प्रदेश से बर्फ के प्रवाह के साथ बहता
उष्ण कटिबन्ध की ऊर्जा लिये गतिवान -
जिसका भव्य अतीत सात बटे-आठ पानी में डूबा हुआ
और सिर्फ एक छोटे टीले के समान ऊपर दिखायीं देता-
उसने क्षितिज के निकट ,सिर ऊपर उठाया
तब उसका ध्यान -
अथाह समुन्दर में राह-भूले यात्री की तरह
अबोध व्याकुलता लिये हुए था।
बहुतों ने उसकी तरफ देखा कौतुहल से -
और मजाक भी बनाया उसकी सरलता का।
वैसी ही हिकारत से
सात समुद्रों पर राज करने वाले जहाजों का काफिला
उसे रोंदते हुए गुजर गया।
किन्तु पूरे विश्व ने देखा आश्चर्य से -
कि उस हिमशैल के चेहरे की बाल-सुलभ मुस्कराहट
ज्यों-की-त्यों कायम थी .......।
और वे भी सभी लडाकू जहाज ले चुके थे जल-समाधि।
दोस्तों, अगर तुम समझोगे नहीं इस दुष्प्रचार को तो उससे किसी का कुछ नहीं बिगड़ेगा बस आपका अनाडी होना ही नज़र आएगा.
https://m.facebook.com/mahtmahandhipeace
सवाल पूछिये..
संदर्भ-
1-Let's kill Gandhi- Tushar Gandhi
2-Freedome at midnight
3-Mahatmyachi akher- jagan fadnis
4-justice D.G,khosala
5- प्रो.डॉ. अशोक चौसाळकर ( राजनैतिक विश्लेषक ) का लेख -दै लोकमत
http://m.lokmat.com/storypage.php… G.D. -The murder of Mahatma and other cases from judge's Notebook
6-pyarelal :mahatma Gandhi- The Last phase नथुरामायण-य.दि.फडके
7--गोपाळ गोडसे - 55कोटीचे बळी
8-आफळे की मनभडंग कहाणी-चारुदत्त आफळे
9- फेसबुकवर , whatsapp व अन्यत्र फिरणारे आणि अफवा पसरवणारे गांधीजी प्रतीचे लाखोे विकृत लेख ज्यांना ऊत्तर देताना वरील प्रश्न व ऊत्तरे सुचली
11-नरहर कुरुंदकर
12- https://m.facebook.com/groups/562250187168592
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संकेत मुनोत
अनुवाद-मुबारक अली
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