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Tuesday, 16 August 2016

पटेल के लिए धर्मनिरपेक्षता केसी त्यागी,

पटेल के लिए धर्मनिरपेक्षता
केसी त्यागी,
वर्ष 1937 में पटेल ने केंद्रीय असेंबली में अपने भाषण में कहा था- हम 25 करोड़ हिंदुओं की आजादी नहीं, बल्कि 35 करोड़ भारतीयों की आजादी चाहते हैं, जिसमें हिंदू, मुसलमान, सिख और ईसाई, सभी हैं। स्वराज से पूर्व की कांग्रेस ने वर्ष 1938 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के मार्गदर्शन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए हिंदू  संघटन और मुस्लिम लीग की सदस्यता लेने पर पाबंदी लगा दी थी। सरदार पटेल हर तरह की सांप्रदायिकता के कट्टर विरोधी और धर्मनिरपेक्षता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध व्यक्ति थे। जून 1947 में भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का सुझाव खारिज करते हुए उन्होंने कहा था कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे यहां अन्य अल्पसंख्यक भी हैं, जिनकी सुरक्षा हमारी ही प्राथमिक जिम्मेदारी है। राज्य सबके लिए है और इसमें जाति या धर्म का कोई भेदभाव नहीं है। दिसंबर 1948 में जयपुर में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में पटेल ने कहा कि कांग्रेस तथा सरकार भारत को एक सच्च धर्मनिरपेक्ष देश बनाने के लिए कटिबद्ध है। फरवरी 1949 में उन्होंने हिंदू राज को एक पागलपन भरा विचार करार दिया। वर्ष 1950 में एक सार्वजनिक सभा में बोलते हुए कहा- हम एक धर्म-निरपेक्ष राज्य हैं और अपनी नीतियों व तौर-तरीकों को पाकिस्तान के तौर-तरीकों पर आधारित नहीं कर सकते। हमें देखना चाहिए कि हमारे धर्मनिरपेक्ष विचार और आदर्श व्यवहार में भी उतरें। यहां हर मुस्लिम को अपने भारतीय नागरिक होने और उसके नाते समान अधिकार पाने की उम्मीद रखनी चाहिए। अगर हम उसके मन में यह भावना नहीं जगा पाते, तो हम अपने देश और विरासत, दोनों के लिए अपर्याप्त हैं।
सरदार पटेल ने अपनी मौत से करीब ढाई महीने पहले जवाहरलाल नेहरू के बारे में कहा था- पंडित जवाहरलाल नेहरू हमारे नेता हैं। बापू ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया है और इसकी घोषणा भी उन्होंने स्वयं की है। इसलिए बापू के सारे सैनिकों का यह फर्ज है कि वे जवाहरलाल जी के आदेशों का पूरा पालन करें। जो लोग उनके आदेश का हृदय से पालन नहीं करते, वे भगवान के अपराधी हैं। मैं बेवफा सिपाही नहीं हूं। मैं जिस स्थान पर हूं, उसके बारे में मुझे कभी विचार भी नहीं आया। मैं तो बस इतना जानता हूं कि उन्होंने मुझे जहां रखा है, मैं वहीं हूं।
संदर्भ- http://www.livehindustan.com/news/editorial/guestcolumn/article1-story-57-62-373925.html

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