आज भारतके लोहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेलने महात्मा गांधी का आशिर्वाद लेके बार्डोलीका सत्याग्रह शुरुवात की थी और आजही महात्मा गांधी ने ऊन्हे सरदार कहके पुकारा था और तबसे हम ऊन्हे सरदार कहके जानते है
गांधीजी और सरदार का गुरु शिष्य का नाता था
सरदार ऐसे व्यक्तीयोंमेसे है कि जिनकी देखभाल खुद गांधीजी ने भी की थी जब सरदार बीमार थे और बापुकी सेवा करनेमें भी सरदार चुके नही.
गांधीहत्याके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध(Bann) लगाकर और इस पर माहौल बिगाडऩे का आरोप लगानेवाले सरदार पटेल ही थे ऊन्होने तभी संघ को लिखे हुए खत पढिए ऊसमें पुरी जानकारी मिल जाएगी। पटेल की सबसे बड़ी कामयाबी 540 देसी रियासतों को भारतीय संघ में मिलाना था।
बहुत लोगोके मनमें यह वहम होता है कि गांधीजी के ज्यादा करीबी नेहरु थे और ईसलिए ऊन्होने ऊनको PM बनाया.लेकिन यह अपुर्ण जानकारी है .
मृत्यु से तीन माह पूर्व सरदार का भाषणभी आपको वह निर्णय कैसे सही था ये बताएगा
२ अक्टूबर ,१९५०,इंदौर,अपनी मृत्यु से तीन माह पूर्व सरदार पटेलने कहा –
‘हमारे नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू हैं। बापूने अपने जीवन-कालमें उन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया और उसकी घोषणा कर दी। बापूके तमाम सिपाहियोंका धर्म है कि वे बापूके आदेशका पालन करें।जो उस आदेशको हृदयपूर्वक उसी भावनासे स्वीकार नहीं करता , वह ईश्वरके सामने पापी सिद्ध होगा। मैं बेवफा सिपाही नहीं हूं। मैं जिस स्थान पर हूं उसका मुझे कोई ख्याल नहीं है। मैं इतना ही जानता हूं कि जहां बापूने मुझे रखा था वहीं अब भी मैं हूं ।”
(पूर्णाहुति,चतुर्थ खण्ड,पृष्ट४६५,ले. प्यारेलाल,नवजीवन प्रकाशन,अहमदाबाद)
(अगर आप घटनाओं को अच्छी तरह से देखे तो समझमें आजाएगा
नेहरुकी लोकप्रियता सरदार से ज्यादा थी International व्यवहारोमेंभी नेहरु की परख अलग थी
सुभाषचंद्र बोस जब कॉंग्रेस के अध्यक्ष थे ऊसके नियोजन आयोग का नेतृत्व जवाहरलाल नेहरुनेही किया था
वक्त नेहरु ऊनके साथ थे मौलाना आझाद के बाद जिम्मेदारी जवाहरलाल नेहरु ने ही ली थी
भारतके के लिए पुर्ण स्वराजकी मांग 26जनवरी 1930 को नेहरुकी अध्यक्षतामेंही हुआ था )
नेहरु पटेल और गांधीजी ईन तीनोके वजहसेही हम आज एकसंध भारत देख रहे है ।आजकल मै देखता हु कि कुछ लोग ऊन तिनोको एकदुजेके विरुद्ध दिखाते है
सरदार vs नेहरु
कभी सरदार vs गांधी
कभी गांधी vs नेहरु
तो कभी कुछ लेकिन आप अगर ध्यान से पढे तो समझमें आएगा कि थोडेसे मतभेदोके बावजुद भी ये सारे एक थे पर ये अफवाए फैलानेवाले स्वतंत्रता आंदोलनमें कही नही थे
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संकेत मुनोत
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