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Monday, 29 May 2017

एक हमारी और एक उनकी मुल्क में हैं आवाजें दो-जावेद अख्तर

एक हमारी और एक उनकी
मुल्क में हैं आवाजें दो
अब तुम पर है कौन सी तुम
आवाज सुनों तुम क्या मानो
हम कहते हैं जात धर्म से
इन्सा की पहचान गलत
वो कहते है सारे इंसा
एक है यह एलान गलत
हम कहते है नफरत का
जो हुक्म दे वो फरमान गलत
वो कहते है ये मानो तो
सारा हिन्दुस्तान गलत.
हम कहते है भूल के नफरत,
प्यार की कोई बात करो...
वो कहते है खून खराबा
होता है तो होने दो.
एक हमारी और एक उनकी
मुल्क में हैं आवाजें दो.
अब तुम पर है कौन सी तुम
आवाज सुनो तुम क्या मानो.
हम कहते हैं इंसानों में
इंसानों से प्यार रहे
वो कहते है हाथों मे
त्रिशूल रहे तलवार रहे.
हम कहते हैं बेघर बेदर
लोगों को आबाद करो
वो कहते हैं भूले बिसरे
मंदिर मस्जिद याद करो
एक हमारी और एक उनकी
मुल्क में हैं आवाजें दो
अब तुम पर है कौन सी तुम
आवाज सुनोत तुम क्या मानो.

~ जावेद अख्तर

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